Wednesday, January 7, 2009

दो लोग

एक चादर और दो लोग
दोनों में चादर की खींचतान
कभी दायें कभी बायें
बीच में थोडी सी खाली जगह
कपडों के भीतर से शरीर में पहुंचती ठिठुरन
धुंध और कोहरा ऐसा

जैसे शहर के लोगों ने
एक साथ अगरबत्तियां जलाई हो,
बिल्कुल सोंधी सी खूश्बू कोहरे की
कोहरे के डर से सूरज नहीं दीखता
छिपकर कहीं दूर से देखता कोहरे को
कोहरे में लिपटी दिल्ली में
दो लोगों के बीच चादर की खींचतान
कभी इस तरफ कभी उस तरफ,
कभी दायें कभी बायें
ये शहर दिल्ली है.