एक बात बताओ मेरे प्यारों धर्म का रंग चढाते क्यों हो?जहां न दिखता अपने सा रंग, उसका घर जलाते क्यों हो?
प्रेम, भाईचारा मिटाकर, आतंक का लहर उठाते क्यों हो?
सब अपने है बात ये भूलकर, बस्तियां जलाते क्यों हो?
एक बात बताओ मेरे प्यारों धर्म का रंग चढाते क्यों हो?
ज़िद को छोड अगर ढूंढों तो, धर्म का अर्थ प्यार है
ईश्वर, अल्लाह और यीशू को, प्रेम धर्म स्वीकार है
जीवन के इन मूल जडों को, दिल से भुलाते क्यों हो?
आपस में लड-लडके दीवारों, दर गिराते क्यों हो?
एक बात बताओ मेरे प्यारों धर्म का रंग चढाते क्यों हो?
हवा, धरती, सूरज, पानी, क्या दुनिया में अनेक है?
बांटा इनको किसने धर्म में, क्या अब तक ये नहीं एक है?
काट - काट के सूरज को, दिन में रात लाते क्यों हो?
जिन्हें बनाया ऊपरवाले ने, उनको तुम मिटाते क्यों हो?
एक बात बताओ मेरे प्यारों धर्म का रंग चढाते क्यों हो?
पंडित, नेता, पादरी, मौलवी इनकी बातों में आते क्यों हो?
मंदिर, मस्जिद, चर्च के फेर में, आपसी प्रेम ढहाते क्यों हो?
एक बात बताओ मेरे प्यारों धर्म का रंग चढाते क्यों हो?
एक बात बताओ मेरे प्यारों धर्म का रंग चढाते क्यों हो?