Sunday, May 30, 2010

शादी की ३७वीं सालगिरह

कोई - सौ किलोमीटर चलके आता है.
पुराने हो चुके किसी ३७ साल की बात के लिये
ज़ुबां पे एक शब्द तक नहीं,
सुबह से घर में चहल-पहल रहती है
पुलाव और मटर की खुश्बू में
कुछ रिश्ते महक रहे हैं
२९
मई २०१०
शादी की ३७वीं सालगिरह
माँ बाबूजी को
मुबारक हो

Thursday, May 20, 2010

उम्र की उपलब्धि

उम्र की उपलब्धि
रोज़ माथे पर सवार हो जाती है
कुछ खुदबुदाहट होता है
और सर के कई बाल सफ़ेद हो जाते है
थोड़े खुशफहमी में दिन कटता है
और कुछ खुशबू आसपास चक्कर लगाती है
एक बाती में फंसी अगरबती
खुशबू और धुँआ उगलता है
अपनी तक़दीर की अगरबती बनाके
जलाओगे तो खुशबू तो आयेगी ही
माथे की लकीर भी
खुशबू के साथ मिट जायेगी.

Wednesday, May 12, 2010

यादगार पात्र होने की चाह ज़िन्दगी.

मेले में बिक रहे किसी
बैलून, चश्मे, लाई-पकौडी
झूला, सेवई, जलेबी
रास्ते का सबसे घना पेड
फट चुकी किताब
लाल रंग
हिन्दी फ़िल्मों का 'राज', 'विजय'
बंगाली बाबा का जादू
हाशमी दवाखाना की शीशी
कमजोरी भगाने वाली खुराक
मोटा वाला बैंक अकाऊंट
ज़ीरो साईज़ टेंशन
खाके सोने वाली दिनचर्या
नदी-नाले की ठंडी हवा
और
किसी कहानी की पूंछ पकडके
कोई यादगार पात्र होने की चाह
ज़िन्दगी.