Thursday, May 20, 2010

उम्र की उपलब्धि

उम्र की उपलब्धि
रोज़ माथे पर सवार हो जाती है
कुछ खुदबुदाहट होता है
और सर के कई बाल सफ़ेद हो जाते है
थोड़े खुशफहमी में दिन कटता है
और कुछ खुशबू आसपास चक्कर लगाती है
एक बाती में फंसी अगरबती
खुशबू और धुँआ उगलता है
अपनी तक़दीर की अगरबती बनाके
जलाओगे तो खुशबू तो आयेगी ही
माथे की लकीर भी
खुशबू के साथ मिट जायेगी.

1 comment:

honesty project democracy said...

उम्दा सोच की अच्छी सराहनीय प्रस्तुती / हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html