Wednesday, September 21, 2011

ऐसे ही...आजकल

छोटी-छोटी अंखियों में, मोटी-मोटी बूँदें हैं
नींद ने ऐसे ही, कितनी रातें गूंथे हैं
ज़िन्दगी के साथ में, डाकू के करतबें है
दिल ने धड़कने में, सांसें-सांसें लूटे हैं॥
ऐसे ही..आजकल.