खूश्बू जैसे शब्द खिले हैं.
तुम्हारे
नहीं होने से,
चांद पे, चिडियों के बारे में
झील पे, मौसम के लिये
तुम्हारी किसी अदाओं पे
आखों पे, तुम्हारी हंसी पे
अपनी बेबसी पे
नहीं लिख सका,
एक भी
कविता।