सलाम करता चलूं!
खूश्बू जैसे शब्द खिले हैं.
Tuesday, August 17, 2010
बाप रे
पप्पू
सोने
जाते
वक़्त
सोचने
लगा
,
बाप
रे
,
कितना
मुश्किल
होता
अगर
हम
जैसे
लोगों
के
पास
कोई
एक
मुमताज
होती
,
पूरा
एक
ताजमहल
बनवाना
होता
उसकी
याद
में
.
बाप
रे
सोचते
सोचते
सो
गया
पप्पू
.
सुबह
उठकर
काम
पे
चला
गया
शायद
आज
फिर
रात
के
वक़्त
सोचे
बाप
रे
.
1 comment:
Anonymous said...
ITS TOO GOOD
September 7, 2010 at 8:33 AM
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1 comment:
ITS TOO GOOD
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