Wednesday, June 2, 2010

खूं रगों में खाली है

बातों की बतीहर से रौशन, रातें काली काली है
रातें लम्बी लम्बी काली, खूं रगों में खाली है

है उचक्का दिल अगर तो, दिनभर दिवाली है
तू कहीं गर रुक गया तो, वक़्त की तू साली है

है बड़ा जालिम सिपाही, आँखों में तेरी लाली है
मिल गया हाथों से हाथ, तो समझना ताली है

ये कबीरा दिल लगा न, कोई नहीं दिलवाली है
रोयेगा मंदिर में जाके, तू भी एक सवाली है

है अगर सरकार तेरी, करनी तो रखवाली है
कुछ अगर खो गया तो, तू बड़ा मवाली है

रातें काली काली है, रातें काली काली है....


7 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है बधाई।

sanu shukla said...

sundar rachana



iisanuii.blogspot.com

दिलीप said...

waah bahut khoob lajawaab rachna

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छी रचना ....

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

Shekhar Kumawat said...

are bahut sundar gazal he

Anamikaghatak said...

kyaa likhaa hai aapne.....dil jeet liyaa.........bahut sundar.
vaise apke blog sari rachanayen achchi hai ...padhkar achchha lagaa